यादों के झरोखों से " एक्सक्यूज मी "
कभी-कभी हमारे साथ ऐसा होता है कि हम किसी से बात करते रहते है और अचानक से हमारे दिमाग में कुछ ऐसी बातें आ जाती हैं जो हमें सोचने पर विवश कर देती है। मैंने हमेशा से ही आत्मचिंतन पर विश्वास किया है, मेरा मानना है कि हम सभी को दिन भर की घटित बातों को कम से कम एक बार किसी भी वक्त में जरूर बैठकर आत्ममंथन करना चाहिए। यह सही भी है लेकिन साथ ही यह होना चाहिए कि मैंने दिन भर क्या किया, ना कि दूसरों ने क्या किया?
आज भी यादों के झरोखे से एक ऐसी बात लेकर उपस्थित हुई हूॅं जो मेरे दिमाग में २०२२ में ही नही बल्कि उससे पहले भी आती थी और जब २०२२ खत्म होने वाला है, कुछ ही दिन शेष बचे हैं तब भी आती है और शायद! आगे भी आती रहेगी।
आज तक मेरी समझ में यह बात नही आई कि जब भी आस - पड़ोस के कोई भी आते है या आती है, वें सभी हमेशा ही दूसरों की ही बातें क्यूं करते हैं ? घरों में ही नही यहां तक कि फोन पर भी ऐसी बातें सुनने को मिलती है। चलों ! थोड़ी देर के लिए मान लेते है कि वह अपने लिए क्या बोलेंगे लेकिन यह तो सही नहीं है कि वें लोग हमेशा दूसरों की बुराई ही करें । मैंने अधिकांश को देखा है कि जब हमारे आस - पास के लोग कोई अच्छा काम करते हैं तो हम उसका जिक्र नही करते लेकिन किसी से अगर कोई गलती हो जाती है तो उस गलती को सब नमक - मिर्च लगाकर ऐसे एक-दूसरे को बताते हैं जैसे ऐसा करने से टी. वी. सीरियल की तरह उनके लाइफ की टी. आर. पी. बढ़ रही हो और उनको फायदा हो रहा हो।
हमारे आस-पास के लोग अपने घर में क्या हो रहा है ? इसे जानने के बजाय मोहल्ले के घरों में , रिश्तेदारों के घरों में क्या हो रहा है ? इसमें सबकी दिलचस्पी देखने और सुनने को हम सभी को मिल ही जाती है और तो और इसी खबर को वह घर - घर जाकर ब्राॅडकास्ट भी करने से पीछे नहीं रहती हैं । मुझे तो ऐसे लोगों पर बहुत गुस्सा आता है और मन करता है कि उसी समय जाकर उनसे कहें कि कोई अच्छी बातें कीजिए, यें सब करने से आपलोगो को क्या मिलता हैं? पर अफसोस ! चाह कर भी ऐसा कुछ भी नहीं कर सकती ।
और लोगों की तो मुझे पता नहीं कि वह इस बारे में क्या सोचते हैं लेकिन यदि मैं अपनी बात करूं तो मैं कोशिश करती हूॅं कि ऐसे लोगों से दूर ही रहूॅं इसलिए मैं चाय - पानी लाने के बहाने वहाॅं से खिसक लेती हूॅं और चाय बनाते हुए चुपके से किसी फ्रेंड या मम्मी को फोन करती हूॅं और उनसे कहती हूॅं कि दस मिनट बाद मेरे मोबाइल फोन पर रिंग कर देना । मैं चाय - पानी रखकर जैसे ही बैठती हूॅं कसम से यार ! मेरे शुभचिंतक मेरे फ़ोन की घंटी बजा ही देते हैं । मोबाइल फोन की रिंग बजते ही मेरा चेहरा खिल जाता है और मैं उन लोगों को एक्सक्यूज मी कहते हुए चेहरे पर प्लान सक्सेस वाली फीलिंग लिए वहाॅं से तुरंत ही चंपत हो जाती हूॅं और जैसे ही वे लोग जाने वाले होते हैं मैं फिर से चेहरे पर मुस्कान 😊😊 लिए हाजिर हो जाती हूॅं जिससे कि उनको बाय कर सकूं लेकिन यह सब तभी हो पाता है जब मेरी सासू माॅं घर में मौजूद होती है, अकेले में ऐसा करना संभव ही नही है।
सच पूछो तो मैं ऐसा नहीं करना चाहती लेकिन जब कोई दूसरों की बातें वों भी निगेटिव करता है तो मेरा पारा चढ़ जाता है । वों हमारी देहाती भाषा में कहते हैं ना कि " तड़वा के लहर कपार पर " वैसी हालत मेरी हो जाती है और मैं अपने गुस्से को काबू करने के लिए वहाॅं से जाना ही पसंद करती हूॅं क्योंकि अगर उस समय मैंने कुछ बोल दिया तो मुझे दोनों तरफ यानी घर में भी सुनना पड़ेगा कि इसे तो मेहमानों से कैसे बात करते हैं उसकी तमीज ही नहीं है और दूसरें जिनको बोलूंगी वो कहाॅं मुझे छोड़ेंगे? घर - घर जाकर कहेंगे गौर से सुनिए मेरी बात! फलां की बहू , फलां की पत्नी , फलां की माॅं, फलां की भाभी ........... ने ऐसा किया । नमक - मिर्च लगाकर मेरी ही बातें करेंगे और मैं कुछ ही घंटों में मोहल्ले में ऐसी फेमस हो जाऊंगी कि मोहल्ले के बूढ़े से लेकर बच्चें तक के लिए मैं ब्रेकिंग न्यूज हो जाऊंगी और तो और यह न्यूज एक दिन ही नहीं कुछ दिनों तक सबकी जुबान पर होगा । 😃😃
मैं अपनी पहचान बनाना चाहती हूॅं , फेमस होना चाहती हूॅं लेकिन ऐसे ....... बिल्कुल भी नहीं । मैं तो अपने काबिलियत से सबकी जुबान पर ही नहीं, दिल में भी रहना चाहती हूॅं। जैसे कि मेरी डायरी मेरे दिल में रहती है।यदि यकीं ना हो तो आप सब मेरे पतिदेव जी से पूछ सकते है। वह तो कहते है कि मुझे दिल में रखने के बजाय अपनी डायरी को दिल में रख रखा है। मेरे पतिदेव जी को कौन समझाए कि उन्हें किसने कह दिया कि दिल में कोई एक ही रह सकता है । हमारी मर्जी है हम एक से अधिक रखें तो किसी को क्या दिक्कत है 😃😃
ऐसी बातें मैं मजाक में अपने दोस्तों को बोल देती हूॅं। यादों के झरोखे में जरूरी नहीं कि जो बातें हमारे दिल को ठेस पहुंचाए वही हो, हल्की- फुल्की मजाक वाली बातें भी इसमें रह सकती हैं और रखना भी चाहिए क्योंकि इस जीवन को हम जितना हॅंसते -खेलते गुजार सकते हैं उतना गंभीर होकर, दुखी होकर कभी भी नही गुजार सकते। यादों के झरोखों से आज सिर्फ इतना ही। फुर्सत मिलते ही फिर से वापस आऊंगी तब तक के लिए आप सभी अपना ख्याल रखें और खुश रहें।
धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻
" गुॅंजन कमल " 💓💞💗
Pranali shrivastava
10-Dec-2022 09:30 PM
बहुत खूब
Reply
Prbhat kumar
07-Dec-2022 11:22 AM
शानदार
Reply
Anuradha sandley
29-Nov-2022 10:17 AM
Nice 👍🏼
Reply